हाई बीपी है तो नीली रोशनी में बिताइये वक्‍त

हाई बीपी है तो नीली रोशनी में बिताइये वक्‍त

सेहतराग टीम

क्‍या उच्‍च रक्‍तचाप यानी हाई बीपी का रोशनी से कोई संबंध हो सकता है? सीधे देखा जाए तो शायद नहीं मगर अब एक अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नीली रोशनी के संपर्क में रहने से रक्तचाप कम होता है जिससे हृदय रोग का खतरा भी कम हो जाता है। 

‘यूरोपीयन जर्नल ऑफ प्रीवेन्टेटिव कॉर्डियोलॉजी’ में प्रकाशित अध्ययन के लिए प्रतिभागियों का पूरा शरीर 30 मिनट तक करीब 450 नैनोमीटर पर नीली रोशनी के संपर्क में रहा जो दिन में मिलने वाली सूरज की रोशनी के बराबर है।

इस दौरान दोनों प्रकाश के विकिरण के प्रभाव का आकलन किया गया और प्रतिभागियों का रक्तचाप, धमनियों का कड़ापन, रक्त वाहिका का फैलाव और रक्त प्लाज्मा का स्तर मापा गया। गौरतलब है कि पराबैगनी किरणों के विपरीत नीली किरणें कैंसरकारी नहीं हैं।

ब्रिटेन के सरे विश्वविद्यालय और जर्मनी के हेनरिक हैनी विश्वविद्यालय डसेलडार्फ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि पूरे शरीर के नीली रोशनी के संपर्क में रहने के चलते प्रतिभागियों का सिस्टोलिक (ऊपरी) रक्तचाप तकरीबन 8 एमएमएचजी कम हो गया जबकि सामान्य रोशनी के दौरान रक्‍तचाप पर इस तरह का कोर्इ प्रभाव नहीं पड़ा। 

नीले प्रकाश से रक्तचाप में कमी कुछ उसी प्रकार है जैसी दवाइयों के जरिये रक्तचाप को कम किया जाता है। इस अध्‍ययन के नतीजे भविष्‍य में रक्‍तचाप के इलाज में नई संभावनााओं के द्वारा खोल देंगे।

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